सलामती की दुआ शायरी-दुआ को अक्सर कई लोग शक्ति और आराम के संभावित स्रोत के रूप में देखते हैं। यह आध्यात्मिक विकास और मार्गदर्शन को बढ़ावा देने के साथ-साथ लोगों को अधिक विश्वास विकसित करने और भगवान पर ध्यान केंद्रित करने में मदद कर सकता है।आमतौर पर यह माना जाता है कि यह मन की शांति और भावनात्मक स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है।
salamati ki dua Shayari
उसके हक़ मे हर रोज
मैं दुआ पढता हूँ,
उसकी हर दुआ कुबूल हो बस
उस रब से यही दुआ करता हूँ।
सलामती की दुआ शायरी
मेरे लिए कुछ भी बाकी नही रहा सब कुछ पाने के बाद,
अब कुछ भी दुआ नही है मेरे अपनों की सलामती के बाद।
करना चाहता हूँ उससे कुछ सवाल,
दिल खोल कर रख दू अगर कहने की इजाज़त हो।
ना कोई इश्क में हद से गुज़र जाए।
सलामती की दुआ शायरी
या खुदा मेरी दुआओं में इतना असर कर दे,
खुशियाँ उसे दर्द उसका मुझे नजर कर दे,
दिलों से दूरिओं का एहसास मिटा दे ऐ मौला,
नहीं तो उसके आँचल को मेरा कफ़न कर दे।
जिंदगी में न कोई राह आसान चाहिए ,
न कोई अपनी खास पहचान चाहिए,
बस एक ही दुआ मांगते हैं रोज भगवान से,
आपके चेहरे पे प्यारी सी मुस्कान चाहिए।
मेरा दिल भी कितना भोला है टूट कर रोते हुए भी,
अपने सनम की जिंदगी की ख़ुशी की दुआ मांगता हैं
भगवान से हर रोज प्रार्थना करता हूं,
प्रार्थना में उनकी सलामती की दुआ करता हूं।
सलामती की दुआ शायरी
दुआ मुकम्मल हो या
आसमाँ में कहीं खो जाए,
मैं खुदा नहीं बदलूँगा,
इतना वादा है।
खुदा से इतनी सी रज़ा है मांगी
तेरी सलामती की दुआ है मांगी ।
वरना उसके साथ मरने का हक अदा कर दे।
तेरे इख्तियार में क्या नहीं,
मुझे इस तरह नवाज़ दे,
यूं दुआएं मेरी कुबूल हों,
कि मेरे लब पे कोई दुआ न हो।
वफाओं की बातें की जफ़ाओं के सामने,
ले चले हम चिराग़ हवाओं के सामने,
उठे हैं जब भी हाथ बदली हैं क़िस्मतें,
मजबूर है खुदा भी दुआओं के सामने।
चाँद निकलेगा तो लोग दुआ मांगेंगे,
हम भी अपने मुकद्दर का लिखा मांगेंगे,
हम तलबगार नहीं दुनिया की दौलत के,
हम रब से सिर्फ आपकी वफ़ा मांगेंगे।
भले ही तू जाते जाते मेरे दिल को इतने ज़ख़्म दे गयी,
लेकिन फिर भी मेरे दिल के हर ज़ख़्म तुझे दुआ ही देंगे.
ईश्वर से दुआ में उसकी सलामती मांग लुं,
सुख मांग लुं या उनके लिए जिंदगी की हर खुशी मांग लुं।
कैसे माँगूँ उसे
दुआओं में अपनी
दुआओं में खुदा
थोड़ी न माँगा जाता है।
मुन्तज़िर मैं हूँ के वफ़ा मिलेगी, लबों से तेरे जब दुआ मिलेगी।
की जान भी निकल जाए मगर दर्द ना हो पाए।
चाँद निकलेगा तो लोग दुआ मांगेंगे
हम भी अपने मुकद्दर का लिखा मांगेंगे
हम तलबगार नहीं दुनिया की दौलत के
हम रब से सिर्फ आपकी वफ़ा मांगेंगे
सलामती की दुआ शायरी
Salamati Ki Dua Shayari –अगर आप किसी को दिल से दुआ दे तो उससे अच्छी बात कोई हो ही नहीं सकती है,आज हम आपके लिए ये दुआ शायरी लाए हैं जिससे आप सबको एक प्यारी सी दुआ दे सको। मुसीबत सभी के जीवन में आती हैं आप अपने लिए कुछ ज्यादा नही कर सकते हैं तो कोई बात नही। आप उनके लिए मुसीबत के समय में दुआ कर सकते हैं,जो काम दुआ से हो जाते है वह काम कभी पैसे से भी नहीं हो सकता है।और मेरे दोस्तों दुआ की एक खास बात तो दुआ दिल से मांगते हैं तो दुआ कबूल तो होती ही है साथ ही साथ आपको हमें खुश रखता है।
दिन की छोड़ो चाहे कितनी भी रात हो,
बस मुझे महसूस करना अपने करीब इतना,
जितना दुआ मांगते समय करीब आपके हाथ हो
मुद्दतें हो गयी हैं खता करते हुए,
शर्म आती है अब तो दुआ करते हुए.
सलामती की दुआ शायरी
लोगों की भीड़ में रब से दुआ है हमारी,
सलामत रहे जिंदगी तुम्हारी,
कुबुल हुई दुआ हमारी,
तुमसे है जिंदगी हमारी।
मन्नत मांग कर लौट
रहे थे हम मंदिर से,हाथ उठे है जब भी सजदे में
रास्ते में तुम मिल गई
और दुआ कबूल हुई।
सलामती की दुआ शायरी
तेरे आंचल के किनारे, रात हमने गुजारे
और कोई दुआ नहीं अब, मांगने के वास्ते ।
दुआएँ मिल जाये यही काफी है,
दवाए तो कीमत अदा करने पर मिल ही जाती हैं।
हमारे सब्र का इम्तिहान न लीजिये,
हमारे दिल को यूँ सजा न दीजिये,
जो आपके बिना जी न सके एक पल,
उन्हें और जीने की दुआ न दीजिये।
क्या पता उसको कि वो मुझ को सज़ा देता है,
वो तो मासूम है, जीने की दुआ देता है.
तेरी सलामती की दुआ मांगी।
तेरी ही दुआओं से
है रोशन ये ज़िन्दगी मेरी,
ना मिले खुदा तो भी
है जन्नत ये ज़िन्दगी मेरी।
Salamati Ki Dua Shayari
अकेला हूँ लहरों में उतर जाऊंगा,
तेरे अलफ़ाज़ के भरोसे मैं गुज़र जाऊंगा।
और ना किसी का दिल दुखे मेरी वजह से।
Salamati Ki Dua Shayari
मेरा दिल भी कितना भोला है टूट कर रोते हुए भी,
अपने सनम की जिंदगी की ख़ुशी की दुआ मांगता हैं.
सलामती की दुआ शायरी इन हिंदी
चुपके से चाँद की रौशनी छू जाये आपको
धीरे से या हवा कुछ कह जाये आपको
दिल से जो चाहते हो मांग लो
खुदा से हम दुआ करते हैं मिल जाये वो आपको
दुआ कौन सी थी हमे याद नही बस इतना याद है,
दो हथेलियाँ जुड़ी थी एक तेरी थी एक मेरी थी.
जो सहते है हमारे लिए गम,
हर रोज उनकी सलामती की दुआ करते है हम।
तुम मिले तो यूँ लगा
हर दुआ कुबूल हो गयी,
काँच सी टूटी किस्मत
मेरी हीरों का नूर हो गयी।
हर सुबह तेरी दुनिया में रौशनी भर दे
जब भी टूटने लगे तेरी साँसे
खुदा तुझमे शामिल मेरी ज़िन्दगी कर दे
Salamati Ki Dua Shayari
हर मोड़ पे खुशियाँ तेरी झोली में आये
इतनी हो खुशियाँ की तुमसे समेटी न जाएँ
दिल से दुआ है मेरी, ऐ खुदा!
ग़म तेरे मुक़दर में क्या तसवुर में भी न आएं
तुम तो दुनिया से निराली ही सजा देते हो।
कितने चालाक हो क़ातिल दुआ देते हो.
लोग दुसरो के लिए दुआ करते है,
हम अपने परिवार के लिए सलामती की दुआ करते है।
Salamati Ki Dua Shayari In Hindi
सलामती की दुआ शायरी-दोस्तों हमें खुद से ज्यादा औरों के लिए जीते हुए दुआएं करनी चाहिए. ताकि जिंदगी में हम अपने दिल को सुकून दे पाएंगे. क्योंकि बहुत कम लोगों के नसीब में दिल से, किसी की दुआ लेने या फिर देने का मौका आता है.
रब से मांगी थी
मैंने वो दुआ हो तुम,
मेरी हर शाम का आखिरी और
हर सुबह का पहला ख्याल हो तुम।
बस इतनी सी दुआ कर देना।
हमे जरूरत नही किसी अल्फाज कि,
प्यार तो चीज़ है बस अहसास कि,
पास होते तो मंजर कुछ और ही होता,
लेकिन दूर से खबर है हमे आपकी हर धड़कन कि |
देखना हमारी आदत बनजाये |
मोम की तरह पिघलते हुए देखा उसको
रुत जो बदली तो बदलते हुए देखा उसको
न जाने वो दुआओं में मांगे जाता है कैसे
हाथ उठते ही सिसकते हुए देखा उसको
ये दिसम्बर तो बातोँ का मौसम था,
दुआ करो कि जनवरी बांहोँ का मौसम हो.
प्यार निभाने से पहले कभी न छोड़ने का वादा किजिए,
उसकी जिंदगी हमेशा सलामत रहे यही दुआ किजिए।
अनसुनी फ़रियादें समेटे
हुआ आसमान तेरा,
कभी बरसे मेरे शहर में
तो दुआ क़ुबूल हो।
और हम तरसते रहे तेरी एक झलक पाने के खातिर।
जब भी तन्हाई में आपकी याद आती है,
तब मेरे होंठों पर बस एक ही फ़रियाद आती है,
खुदा आपको जिंदगी में हर ख़ुशी दे दे,
क्योंकि हमारी ख़ुशी आपके बाद आती है।
मगर दुआ बस यही है,कि उसे मुझ जैसा फिर कोई ना मिले.
जिंदगी के हर मोड़ पर हम नही रुकते हैं,
मेरी अपनों के लिए सलामती की दुआ मांगने के लिए हर रोज हाथ उठते है।
मेरी हर दुआ तेरे लिए रहेगी,
चाहे तु जितने सितम कर,
कभी बेवफा न कहेगी।
सदा दूर रहो ग़म की परछाइयों से,
सामना न हो कभी तन्हाइयों से,
हर अरमान हर ख्वाब आपका पूरा हो ,
यही दुआ है दिल की गहराइयों से।
वो बात ही क्यों करूं जिसकी खबर न हो
वो दुआ ही क्यों करू, जिसका असर ही न हो
कैसे कह दूँ तुझे लग जाये मेरी उम्र
क्या पता अगले पल मेरी उम्र ही न हो